ध्यान से देखो
तो नारगी और गुलबी रग का
शायद बोगनवेलिया बनने का,
खाब देख रहा हे
अपनी विशालता से थक चुका हे
एक दिन ऎसा आए
कि इस पूरे पेड को आगही लग जाए
और कुछ बचे, तो सिफ़ इसकी
शाखाए
मुक्त, लहराती हुइ
शखाओसे निकले
पखुडिया,
गहरे, सुदर गुलाबी रग कि
खुशबू नही, सिर्फ़ इसके
प्यारे रग से,
झुम ने लगे आकाश,
और काले बादल
करे
जोरो कि बरिश
आस पास नन्ही घास की
जगह
उगने लगे
बास के घने पेड
बास के उजले, हरे पत्ते
सराहना करते रहे,
इस गुलाबी
बोगनवेलिया का
गाना गाकर
हल्की हवा पर, जब
बास सिटी बजाएगा
तब बोगनवेलिया कि
पखुडिया डःक देगी
सब दिशाए
हवा के झोके लोट जाएगे
और
फिर एक बार, नए सिरे से
बोगनवेलिया को
फुटेगे अनकुर
सिरफ़
नीले आकाश को
गहरे, हल्के गुलबी
रनग से
सजाने के लिये.